भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जंगल का नायक / वैभव भारतीय

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:48, 10 मार्च 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वैभव भारतीय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसने देखा रात का सूरज
किसे पड़ी है मन पढ़ने की
कौन वहाँ करता है शिरकत
जहाँ ज़रूरत है भिड़ने की।

सबने क़िस्सा वही सुनाया
ख़ुद जिसमें नायक बन पाया
सब बदमाशी के क़िस्से हैं
जो शिकारियों ने लिक्खे हैं
ये शिकार की छद्म कहानी
होती रेत है लगता पानी।

जब तक सिंह नहीं सीखेगा
क़िस्सागोई इस जंगल की
जब तक सिंह नहीं लिक्खेगा
असल कहानी दावानल की