भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जगा दे भोले बाबा को मनादे भोले बाबा को

Kavita Kosh से
Amitesh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:49, 2 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मैथिली }} <poem> एना जे सुतई…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एना जे सुतईत आंख मसानी, कोना क चलतई काज
जगा दे भोले बाबा को मनादे भोले बाबा को
इ भोले जोगिया आक धतुर में मतंग छथि,
नगरा बताह जका सुतल इ अर्धंग छथि,
इ अपराधी भूत के संगी, रूप सदाशिव भावे
जगा दे भोले बाबा को, मना दे भोले बाबा को
बसहा सवारी शिव के, घर नै घरारी एको धुर बटाईया,
अपने भिखारी शिव दुनिया लेल अन्न धन छई,
जटा स निकले गंगा छीट छीट के गंगाधार जगा दे
भोले बाबा को मना दे भोले बाबा को