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जन-मन नायक! हे जन-गायक! जन-जीवन ध्रुवतारा / गुलाब खंडेलवाल

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बिहार हिन्दी साहित्य सम्मलेन, गया-अधिवेशन
 
जन-मन नायक! हे जन-गायक! जन-जीवन ध्रुवतारा
हे प्रबुद्ध! इस बुद्ध भूमि में स्वागत आज तुम्हारा
. . .
तुलसी-सूर-कबीर-कूजिता, पूजित देव-बिहारी
भारत-भाल-भाग्य-बिंदी हिन्दी के अहे पुजारी!
स्वागत करती डरती-डरती, दीन-हीन यह नगरी
चिर-अभिशप्ता, जरासंध की यह तप्ता फुलवारी
नहीं यहाँ कोकिल का कूजन, नहीं राजपथ न्यारा
. . .
जन-मन नायक! हे जन-गायक! जन-जीवन ध्रुवतारा
हे प्रबुद्ध! इस बुद्ध भूमि में स्वागत आज तुम्हारा