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जब भी लिखना / रोहित रूसिया

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जब भी लिखना
जो भी लिखना
कुछ नया लिखना

जब कोई पूछे
कि आँगन की
थकन का
क्या करें?
तुम तो बस
कोयल, गौरैया
और बया लिखना

जब भी लिखना
जो भी लिखना
कुछ नया लिखना

गम अपरिचित ने भी
बाँटे, पर
खुशी के दौर में
कौन अपना
साथ तेरे
खुश हुआ लिखना

जब भी लिखना
जो भी लिखना
कुछ नया लिखना