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जब से आई है बीमारी गाँवों में / कैलाश झा 'किंकर'

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जब से आई है बीमारी गाँवों में
पसरी है हरसू दुश्वारी गाँवों में।

कोरोना लेकर आए वह बाहर से
घर में रहने की लाचारी गाँवों में।

पनघट सूना, ताल-तलैया एकाकी
बच्चों की खोई किलकारी गाँवों में।

अमराई की याद मुझे आती लेकिन
घूम रही गाड़ी सरकारी गाँवों में।

खेतों की मेड़ों पर भीड़ नहीं लगती
ठहर गयी है खेती-बारी गाँवों में।

बेच रहे घर-घर जाकर सामानों को
खुद्दारी से सब पंसारी गाँवों में।