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"जय हो / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मरण-त्रास पर मनुज-श्वास की
 
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आग्नि-शिखा अक्षय हो  
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निज पर पर, नर पर नरत्व की
 
निज पर पर, नर पर नरत्व की

01:49, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


जय हो

दुख पर सुख, तम पर प्रकाश की
जड़ता पर गति की, विकास की
मरण-त्रास पर मनुज-श्वास की
अग्नि-शिखा अक्षय हो

निज पर पर, नर पर नरत्व की
पंचतत्व पर आत्म-सत्व की
घन-महत्त्व पर जन-समत्व की
संघ-शक्ति का भय हो

कुटिल असुन्दर पर सुन्दर की
पवि कठोर पर कोमल कर की
प्रलय-क्षितिज पर विश्वंभर की
नव-ज्योति का उदय हो
जय हो!