भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जवाहर लाल नेहरू / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=चंदन की कलम शहद में डुबो-…)
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<poem>
 
<poem>
  
जवाहर लाल नेहरू  
+
पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन पर
 
 . . .
 
 . . .
  
 
बहुत माना हठी था, तेज था, तर्रार था नेहरू  
 
बहुत माना हठी था, तेज था, तर्रार था नेहरू  
 
सरित हम थाहते जब तक कि उड़ कर पार था नेहरू  
 
सरित हम थाहते जब तक कि उड़ कर पार था नेहरू  
हमारी शिथिलता, जड़ता, कुढ़ाती थी उसे हरदम
+
हमारी शिथिलता, जड़ता, कुढ़ाती थी उसे अक्सर
 
करे क्या पाँव में बिजली बँधी लाचार था नेहरू!
 
करे क्या पाँव में बिजली बँधी लाचार था नेहरू!
  
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
सफलता या विफलता, पूर्ण एकाकार था नेहरू
 
सफलता या विफलता, पूर्ण एकाकार था नेहरू
 
बहुत थे पूज्य गौतम और गाँधी, पर बहुत ऊँचे
 
बहुत थे पूज्य गौतम और गाँधी, पर बहुत ऊँचे
मनुज हम-सा, हमीं में से, हमारा प्यार था नेहरू  
+
मनुज हम-सा, हमींमें से, हमारा प्यार था नेहरू  
 
<poem>
 
<poem>

01:13, 20 जुलाई 2011 का अवतरण


पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन पर
 . . .

बहुत माना हठी था, तेज था, तर्रार था नेहरू
सरित हम थाहते जब तक कि उड़ कर पार था नेहरू
हमारी शिथिलता, जड़ता, कुढ़ाती थी उसे अक्सर
करे क्या पाँव में बिजली बँधी लाचार था नेहरू!

हमारी जय-पराजय भावना का द्वार था नेहरू
सफलता या विफलता, पूर्ण एकाकार था नेहरू
बहुत थे पूज्य गौतम और गाँधी, पर बहुत ऊँचे
मनुज हम-सा, हमींमें से, हमारा प्यार था नेहरू