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"ज़रा आहिस्ता चलो / अशोक शाह" के अवतरणों में अंतर

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बज ना उठें पाज़ेब तुम्हारे पांव के
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सबा गुनगुनाके के चलने लगी तो
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शब जाग जायेगी तुम्हारे दीदार को
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कैसे सो रही थकी, दिन की सगाई कर
  
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ज़रा आहिस्ता चलो
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परदा सरक जाएगा सहर की पेशानी से
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दरीचों पर शफ़ीक़ किरनों का
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देखो तो कैसा जमघट लगा है
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टूट पड़ेगीं तुमसे लिपटने को
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ज़रा आहिस्ता चलो
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दरख़्त बयक वक़्त घूम गये तो
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सब पड़ेंगे पीछे तुम्हारें, हैरान करेंगे
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काल बेचैन खड़ा है इन्तज़ार में
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तुम्हारी उम्र से एक दिन चुराने को
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ज़रा आहिस्ता चलो
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बज ना उठें पाजेब तुम्हारे पाँव के
  
  
 
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21:58, 7 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

देखो, ज़रा आहिस्ता चलो

बज ना उठें पाज़ेब तुम्हारे पांव के
सबा गुनगुनाके के चलने लगी तो
शब जाग जायेगी तुम्हारे दीदार को
कैसे सो रही थकी, दिन की सगाई कर

ज़रा आहिस्ता चलो
परदा सरक जाएगा सहर की पेशानी से
दरीचों पर शफ़ीक़ किरनों का
देखो तो कैसा जमघट लगा है
टूट पड़ेगीं तुमसे लिपटने को

ज़रा आहिस्ता चलो
दरख़्त बयक वक़्त घूम गये तो
सब पड़ेंगे पीछे तुम्हारें, हैरान करेंगे
काल बेचैन खड़ा है इन्तज़ार में
तुम्हारी उम्र से एक दिन चुराने को

ज़रा आहिस्ता चलो
बज ना उठें पाजेब तुम्हारे पाँव के