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"ज़िंदगी क्या है? / कृष्णा वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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+ | बहते दरिया की | ||
+ | है ये कोई रवानी। | ||
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+ | कर्मों से बँधी | ||
+ | मूल्यों में ढली हुई | ||
+ | वंश- निशानी | ||
+ | भोली कुछ नादाँ-सी | ||
+ | है थोड़ी -सी सयानी। | ||
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+ | बड़ी कठिन | ||
+ | ज़िंदगी की किताब | ||
+ | पढ़ें तो कैसे | ||
+ | पल-पल बदलती | ||
+ | ये अपने मिज़ाज। | ||
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+ | बची न वफ़ा | ||
+ | रिश्तों की बेदर्दी से | ||
+ | रोई ज़िंदगी | ||
+ | बाकी अब जीने का | ||
+ | दस्तूर है निभाना। | ||
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05:10, 29 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
1
थोड़ी रंगीन
है थोड़ी- सी रुमानी
ज़िंदगी क्या है?
अनूठा- सा गणित
है प्यार की कहानी।
2
ऊँची-नीची -सी
हैं पथरीली राहें
कैसे बताएँ
बहते दरिया की
है ये कोई रवानी।
3
कर्मों से बँधी
मूल्यों में ढली हुई
वंश- निशानी
भोली कुछ नादाँ-सी
है थोड़ी -सी सयानी।
4
बड़ी कठिन
ज़िंदगी की किताब
पढ़ें तो कैसे
पल-पल बदलती
ये अपने मिज़ाज।
5
बची न वफ़ा
रिश्तों की बेदर्दी से
रोई ज़िंदगी
बाकी अब जीने का
दस्तूर है निभाना।