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ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, ज़िन्दगी / विजय वाते

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फिर वही, फिर वही, फिर वही।
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, ज़िन्दगी।

होंठ पर एक ही बात है,
खामुशी, खामुशी, खामुशी।

यार का दूसरा नाम है,
ताज़गी, ताज़गी, ताज़गी।

ये मुहब्बत की आवाज़ है,
शायरी, शायरी, शायरी।

तेरी पहचान है ये 'विजय',
सादगी, सादगी, सादगी।