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ज़िन्दा रहने की ये तौफ़ीक उठाए रखना / ज्ञान प्रकाश विवेक

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ज़िन्दा रहने की ये तौफ़ीक उठाये रखना
दर्द की आँच को मुठ्ठी में दबाये रखना

ये भी होता है किसी घोर तपस्या जैसा
तेज़ आँधी में चरागों को जलाये रखना

ग़ैर-मुमकिन तो नहीं, फिर भी बहुत मुश्किल है
काग़ज़ी फूल पे तितली को बिठाये रखना

मोमबत्ती को बुझा देगी अगर उठ आई
तुम हवा को ज़रा बातों में लगाये रखना

कोई आहट कोई दस्तक किसी चिड़िया कि चहक
घर की सुनसान हवेली में सजाये रखना

कितना मुश्किल है ये मासूम परिन्दों के लिये
ख़ुद को चालाक शिकारी से बचाये रखना.