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"जान लेकर मैं हथेली पे चला करता हूँ / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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अपने दुश्मन पे मगर पूरी नज़र रखता हूं  
 
अपने दुश्मन पे मगर पूरी नज़र रखता हूं  
  
फूंककर पांव दोस्तो चमन में रखता हूं
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पांव रखता हूं चमन में तो दिल धड़कता है
कोई पत्ता न कहीं टूट जाय डरता हूं
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कोई पत्ता न कहीं टूट जाय डरता हूं
  
 
हर किसी को तो अपना दिल मैं नहीं दे सकता
 
हर किसी को तो अपना दिल मैं नहीं दे सकता
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दिल जो कहता है सही सिर्फ़ वही करता हूं
 
दिल जो कहता है सही सिर्फ़ वही करता हूं
  
सात परतों के तले ग़म जो दबाये बैठे
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इस तरफ़ फूल अगर हैं तो हथौड़ा भी उधर
उन लबों की मैं मुस्कराहटों पे मरता हूं
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पत्थरों, सुन लो हक़ीक़त जो बयां करता हूं
  
 
सामने फूल गर तो सर पे हथौड़ा भी है
 
सामने फूल गर तो सर पे हथौड़ा भी है
 
पत्थरों , सुन लो हक़ीक़त बयान करता हूं  
 
पत्थरों , सुन लो हक़ीक़त बयान करता हूं  
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उनके होंठों की हंसी पर तो फ़िदा हूं मैं भी
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उनकी आंखों में छुपे राज़ मगर पढ़ता हूं
 
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19:42, 12 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण

जान लेकर मैं हथेली पे चला करता हूं
अपने दुश्मन पे मगर पूरी नज़र रखता हूं

पांव रखता हूं चमन में तो दिल धड़कता है
कोई पत्ता न कहीं टूट जाय डरता हूं

हर किसी को तो अपना दिल मैं नहीं दे सकता
हर किसी के लिए पर , दिल में जगह रखता हूं

लोग खुश हों कि खफा हों कोई परवाह नहीं
दिल जो कहता है सही सिर्फ़ वही करता हूं

इस तरफ़ फूल अगर हैं तो हथौड़ा भी उधर
पत्थरों, सुन लो हक़ीक़त जो बयां करता हूं

सामने फूल गर तो सर पे हथौड़ा भी है
पत्थरों , सुन लो हक़ीक़त बयान करता हूं

उनके होंठों की हंसी पर तो फ़िदा हूं मैं भी
उनकी आंखों में छुपे राज़ मगर पढ़ता हूं