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अपने दुश्मन पे मगर पूरी नज़र रखता हूं
फूंककर पांव दोस्तो चमन में रखता हूंचमन में तो दिल धड़कता है कोई पत्ता न कहीं टूट जाय डरता हूं
हर किसी को तो अपना दिल मैं नहीं दे सकता
दिल जो कहता है सही सिर्फ़ वही करता हूं
सात परतों के तले ग़म जो इस तरफ़ फूल अगर दबाये बैठेहैं तो हथौड़ा भी उधरउन लबों की मैं मुस्कराहटों पत्थरों, सुन लो हक़ीक़त जो पे मरता बयां करता हूं
सामने फूल गर तो सर पे हथौड़ा भी है
पत्थरों , सुन लो हक़ीक़त बयान करता हूं
 
उनके होंठों की हंसी पर तो फ़िदा हूं मैं भी
उनकी आंखों में छुपे राज़ मगर पढ़ता हूं
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