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जिधर भी देखिए बस ख़ून का सैलाब दिखता है / सिराज फ़ैसल ख़ान
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जिधर भी देखिए बस ख़ून का सैलाब दिखता है
अयोध्या श्रीनगर के साथ ही गुजरात दिखता है
है लाचारी ग़रीबी गर मेरी आँखोँ से देखोगे
तुम्हारी आँखोँ से तुमको जो नक्सलवाद दिखता है
ये सी.एम. और पी.एम. क्या दबा लेता है वो सबको
मुझे तो भारत में अपने ठाकरे-राज दिखता है
तवाइफ़ करती है बर्बाद कुछ लोगोँ को कोठे पर
सियासत तेरे हाथोँ तो जहाँ बर्बाद दिखता है
ये क़ौमी-एकता पाठ दरिया मेँ कहीँ फेको
परीक्षा के हवाले से ये सब बेकार दिखता है ।