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"जिस तरह मैं भटका / रंजीत वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: एक ऐसे समय में मैंने तुम्हारा साथ दिया जब समय मेरा साथ नहीं दे रहा...)
 
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एक ऐसे समय में
+
 
मैंने तुम्हारा साथ दिया
+
जब समय
+
मेरा साथ नहीं दे रहा था
+
वे हो सकते हैं
+
उत्तेजक और अमीर
+
लेकिन जिस तरह मैं भटका
+
मिलने को तुमसे पूरी उम्र
+
भटक कर दिखाएं वे
+
एक पूरा दिन भी
+
एक ऐसे समय में
+
जब प्रेम करना
+
मूर्खता माना जा रहा था
+
और अदालतें खिलाफ में
+
फैसले सुना रही थीं
+
प्रेमिकाएं
+
अपने वादों से मुकर रही थीं
+
और प्रेमी पंखे से झूल रहे थे
+
मैंने प्रेम किया तुमसे
+
तमाम खतरों के भीतर से गुजरते हुए
+
मैंने तुम्हे दिल दिया
+
जब तुम्हे खुद अपना दिल
+
संभालना मुश्किल हो रहा था
+
तुम्हारे सांवले रंग में
+
गहराती शाम का झुटपुटा होता था हमेशा
+
एक रहस्य गढ़ता हुआ
+
मैं एक पेड़ की तरह होता था जहां
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अंधेरे में खोता हुआ
+
एक ऐसे समय में
+
ज्ब आगे बढ़ने के करतब
+
कौशल माने जा रहे थे
+
बादलों की तरह भटकता रहा मैं
+
मिलने को तुमसे पूरी उम्र
+
भटककर दिखाएं वे मेरी तरह
+
एक पूरा दिन भी।
+

08:55, 20 मार्च 2009 का अवतरण