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"जीतू का परिचय / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

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‘जीतू ’का  परिचय
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यह संकलन अगस्त 1951 में संपादित कर प्रकाशित  हुआ  है जिसमें कवि की 100 कविताऐं संकलित हैं।
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कवि की यह कवितायंे 1935 से 1940 के मध्य की हैं।  
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यह संकलन अगस्त 1951 में संपादित कर प्रकाशित  हुआ  है जिसमें कवि की '''100 कविताऐं''' संकलित हैं।
कविताओं का क्रम इस प्रकार हैः-देवदार वन, देापहरी, दिनान्त, ज्योति ओंकार, तापस(हिमालय)यज्ञ भूमि, जयशंख, करूण स्वर, ऐसा यौवन, प्राण कोकिल, रितु पति, बसन्तगीत, यौवन कूक, जीवन वल्लरी बासन्ती संध्या, बसंत ध्वनि(कफफू), अंजली वर्षा(सुनधन),रंक पूर्व, हिम प्रवासी, जमुना में, पारस मणि, परस स्पर्श, कुछ दिन बाद, चीडों कैनीवै, कविता कीर्ति, मानसी , रूपघटा, जीवन किरण, विकल बांसुरी, हम बैठे, भाग्य सदन, शहनाइया,दैत्यां भरी, विनय कर रही,दुख का स्वागत, हृदय ज्योति, छोटी चिंगारी,अलकनंदा, हिमालय(कटि पर), जाग्रता,कंठ तक, अभी भी है, शेष मुझ में, मिले तो तुम, मृत्यु सुंदरी, श्यैले -प्रेम-दर्शन,किसने रूलाया, अब प्रभात, साथ मेरे स्वर्ग रचना, शोक न कर, साहस को, कर्म वेदी, नूरजहॉ, सो न रह,हेमन्त, शरद में मृत्यु, वर्षा छवि,मंध-चातक, गुंथा संशय, दो आंसू, मैं न देख सका, हो गया जो, एक दिन था, किन्नर(जीतू),स्वर्ण किन्नरी, मसूरी, देहरादून, वनदेवी, जगजननी, वन देवता, देहरास्मृति,भाृतृ-द्वितीया, राखी, अंतर की मुरली, अममृत निर्झर, सफलता रहस्य, शैशव स्मृति,शंभू के प्रति कुंवरी स्मृति,सुन्दरी आई, अछरियां, गिरि वर, मंधदूत, ज्योतिधान, मैं ही अकेला, किन्नरियां, कविते, जीवन वन, पवि वर्षण,स्वप्न में मां,विदाई, मेरे लिये, मंदाकिनी, और इस संकलन की अंतिम कविता जीतू है जो सबसे लंबी कविता (324 पंक्तियां) भी है।  
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कवि की यह कवितायंे 1935 से 1940 के मध्य की हैं।
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देवदार वन, देापहरी, दिनान्त, ज्योति ओंकार, तापस(हिमालय)यज्ञ भूमि, जयशंख, करूण स्वर, ऐसा यौवन, प्राण कोकिल, रितु पति, बसन्तगीत, यौवन कूक, जीवन वल्लरी बासन्ती संध्या, बसंत ध्वनि(कफफू), अंजली वर्षा(सुनधन),रंक पूर्व, हिम प्रवासी, जमुना में, पारस मणि, परस स्पर्श, कुछ दिन बाद, चीडों कैनीवै, कविता कीर्ति, मानसी , रूपघटा, जीवन किरण, विकल बांसुरी, हम बैठे, भाग्य सदन, शहनाइया,दैत्यां भरी, विनय कर रही,दुख का स्वागत, हृदय ज्योति, छोटी चिंगारी,अलकनंदा, हिमालय(कटि पर), जाग्रता,कंठ तक, अभी भी है, शेष मुझ में, मिले तो तुम, मृत्यु सुंदरी, श्यैले -प्रेम-दर्शन,किसने रूलाया, अब प्रभात, साथ मेरे स्वर्ग रचना, शोक न कर, साहस को, कर्म वेदी, नूरजहॉ, सो न रह,हेमन्त, शरद में मृत्यु, वर्षा छवि,मंध-चातक, गुंथा संशय, दो आंसू, मैं न देख सका, हो गया जो, एक दिन था, किन्नर(जीतू),स्वर्ण किन्नरी, मसूरी, देहरादून, वनदेवी, जगजननी, वन देवता, देहरास्मृति,भाृतृ-द्वितीया, राखी, अंतर की मुरली, अममृत निर्झर, सफलता रहस्य, शैशव स्मृति,शंभू के प्रति कुंवरी स्मृति,सुन्दरी आई, अछरियां, गिरि वर, मंधदूत, ज्योतिधान, मैं ही अकेला, किन्नरियां, कविते, जीवन वन, पवि वर्षण,स्वप्न में मां,विदाई, मेरे लिये, मंदाकिनी, और इस संकलन की अंतिम कविता जीतू है जो सबसे लंबी कविता (324 पंक्तियां) भी है।  
 
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13:00, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण

‘जीतू ’का परिचय

यह संकलन अगस्त 1951 में संपादित कर प्रकाशित हुआ है जिसमें कवि की 100 कविताऐं संकलित हैं।

कवि की यह कवितायंे 1935 से 1940 के मध्य की हैं।
 
कविताओं का क्रम इस प्रकार हैः-

देवदार वन, देापहरी, दिनान्त, ज्योति ओंकार, तापस(हिमालय)यज्ञ भूमि, जयशंख, करूण स्वर, ऐसा यौवन, प्राण कोकिल, रितु पति, बसन्तगीत, यौवन कूक, जीवन वल्लरी बासन्ती संध्या, बसंत ध्वनि(कफफू), अंजली वर्षा(सुनधन),रंक पूर्व, हिम प्रवासी, जमुना में, पारस मणि, परस स्पर्श, कुछ दिन बाद, चीडों कैनीवै, कविता कीर्ति, मानसी , रूपघटा, जीवन किरण, विकल बांसुरी, हम बैठे, भाग्य सदन, शहनाइया,दैत्यां भरी, विनय कर रही,दुख का स्वागत, हृदय ज्योति, छोटी चिंगारी,अलकनंदा, हिमालय(कटि पर), जाग्रता,कंठ तक, अभी भी है, शेष मुझ में, मिले तो तुम, मृत्यु सुंदरी, श्यैले -प्रेम-दर्शन,किसने रूलाया, अब प्रभात, साथ मेरे स्वर्ग रचना, शोक न कर, साहस को, कर्म वेदी, नूरजहॉ, सो न रह,हेमन्त, शरद में मृत्यु, वर्षा छवि,मंध-चातक, गुंथा संशय, दो आंसू, मैं न देख सका, हो गया जो, एक दिन था, किन्नर(जीतू),स्वर्ण किन्नरी, मसूरी, देहरादून, वनदेवी, जगजननी, वन देवता, देहरास्मृति,भाृतृ-द्वितीया, राखी, अंतर की मुरली, अममृत निर्झर, सफलता रहस्य, शैशव स्मृति,शंभू के प्रति कुंवरी स्मृति,सुन्दरी आई, अछरियां, गिरि वर, मंधदूत, ज्योतिधान, मैं ही अकेला, किन्नरियां, कविते, जीवन वन, पवि वर्षण,स्वप्न में मां,विदाई, मेरे लिये, मंदाकिनी, और इस संकलन की अंतिम कविता जीतू है जो सबसे लंबी कविता (324 पंक्तियां) भी है।