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"जीवन गाथा / मीना चोपड़ा" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल
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|रचनाकार=मीना चोपड़ा
 
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11:55, 4 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

उठती हैं
   गिरती हैं
      दर्पण हैं साँसें
   प्रतिबिम्बों को
   जन्म देती हैं ।

         प्रतिबिम्ब, जो कई
            चिन्ह बना देते हैं
                 दाग देते हैं प्रश्न-
                 कई दायरों पर
              लिख देते हैं दायरे
              कई सीनों पर ।

          छप जाती है
    समय के पन्नों पर
 जीवन गाथा ।