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"जीवन जहाँ / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर

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सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता !
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जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !
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01:06, 8 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

जीवन जहाँ खत्म हो जाता !
उठते-गिरते,
जीवन-पथ पर
चलते-चलते,
पथिक पहुँच कर,
इस जीवन के चौराहे पर,
क्षणभर रुक कर,
सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता !
जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !