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"जो कुछ भी मैंने कहा / निकिफ़ोरॉस व्रेताकॉस / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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हमेशा अपना चोला  
 
हमेशा अपना चोला  
 
बदलती रहती है यह हरी-भरी धरती,
 
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बदलती हैं
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बदलती हैं चीज़ों की आत्माएँ भी
जगहें और ध्वनियाँ — चीज़ों की आत्माएँ
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जगहें और ध्वनियाँ ।
  
मैंने बहुत कुछ कहा है,
 
 
अपने पड़ोसी की आँखों में झाँककर,  
 
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उसका हाथ अपने हाथों में लेकर ।
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मैंने बहुत कुछ कहा है ।  
  
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पर जो कुछ भी मैंने कहा है
जो कुछ भी मैंने कहा है
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अब तक
 
अब तक
वह कुछ नहीं है। निमिष मात्र भी नहीं ।  
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वह कुछ नहीं है।  
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निमिष मात्र भी नहीं ।  
  
 
मैंने सिर्फ़ उतना ही कहा है
 
मैंने सिर्फ़ उतना ही कहा है
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कि यहाँ और वहाँ
 
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आज और फिर कभी
 
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भविष्य में
मैंने अपना गीत पक्षियों के साथ जोड़ा है ।
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मैंने अपना गीत पक्षियों के साथ जोड़ा है ।
 
   
 
   
 
'''रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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15:49, 6 अगस्त 2019 के समय का अवतरण

इस दुनिया के बारे में
मैंने बहुत कुछ कहा है,
और यह देखकर मैं अचम्भे में हूँ ।

सूरज ने मुझे चुनौती दी है,
हमेशा अपना चोला
बदलती रहती है यह हरी-भरी धरती,
बदलती हैं चीज़ों की आत्माएँ भी
जगहें और ध्वनियाँ ।

अपने पड़ोसी की आँखों में झाँककर,
उसका हाथ अपने हाथों में लेकर
 मैंने बहुत कुछ कहा है ।

पर जो कुछ भी मैंने कहा है
अब तक
वह कुछ नहीं है।
निमिष मात्र भी नहीं ।

मैंने सिर्फ़ उतना ही कहा है
जितना यह जानने के लिए काफ़ी है
कि यहाँ और वहाँ
आज और फिर कभी
भविष्य में
मैंने अपना गीत पक्षियों के साथ जोड़ा है ।
 
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय