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"जो नज़र प्यार की कह गयी है, मुँह पे लाने की बातें नहीं है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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जो नज़र प्यार की कह गयी है, मुँह पे लाने की बातें नहीं है
 
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हम सुना तो रहे बेसुधी में, वे सुनाने की बातें नहीं है  
  
 
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हमने माना कि तुम हो हमारे, याद करते रहोगे हमेशा
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ज़िन्दगी खींच कर हमको लायी किन सुलगती हुई बस्तियों में  
 
ज़िन्दगी खींच कर हमको लायी किन सुलगती हुई बस्तियों में  

01:09, 1 जुलाई 2011 का अवतरण


जो नज़र प्यार की कह गयी है, मुँह पे लाने की बातें नहीं है
हम सुना तो रहे बेसुधी में, वे सुनाने की बातें नहीं है

हमने माना कि तुम हो हमारे, याद करते रहोगे हमेशा
दूर जाने की बीतें हैं पर ये, पास आने की बातें नहीं है

ज़िन्दगी खींच कर हमको लायी किन सुलगती हुई बस्तियों में
होठ हँस भी रहे हों मगर अब मुस्कुराने की बातें नहीं है

यों तो हरदम नयी है ये महफ़िल, हर घड़ी सुर बदलते हैं इसमें
पर जो हम कह गए आँसुओं से, भूल जाने की बातें नहीं है

जो, गुलाब! आपने गीत गाये, उनमें धड़कन तो है प्यार की ही
पर वे मज़बूरियाँ हैं दिलों की, गुनगुनाने की बातें नहीं है