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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था<br>माना वह बेहद प्यारा था<br>वह डूब गया तो डूब गया<br>अंबर अम्बर के आंगन आनन को देखो<br>कितने इसके तारे टूटे<br>कितनी कितने इसके प्यारे छूटे<br>जो छूट गये फ़िर कहां गए फिर कहाँ मिले<br>पर बोलो टूटे तारों पर<br>कब अंबर अम्बर शोक मनाता है<br>जो बीत गई सो बात गई<br>
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम<br>थे उस पर नित्य निछावर तुम<br>वह सूख गया तो सूख गया<br>मधुबन की छाती को देखो<br>सूखी कितनी इसकी कलियां<br>मुरझाईं कितनी वल्लरियां<br>जो मुरझाईं फ़िर कहां खिली<br>पर बोलो सूखे फ़ूलों पर<br>कब मधुबन शोर मचाता है<br>जो बीत गई सो बात गई<br>  जीवन में मधु का प्याला था<br>तुमने तन मन दे डाला था<br>वह टूट गया तो टूट गया<br>मदिरालय का आंगन आँगन देखो<br>कितने प्याले हिल जाते हैं<br>गिर मिट्टी में मिल जाते हैं<br>जो गिरते हैं कब उठते उठतें हैं<br>पर बोलो टूटे प्यालों पर<br>कब मदिरालय पछताता है<br>जो बीत गई सो बात गई<br> 
मृदु मिट्टी मिटटी के हैं बने हुए हैं<br>मधु घट फ़ूटा फूटा ही करते हैं<br>लघु जीवन ले कर लेकर आए हैं<br>प्याले टूटा ही करते हैं<br>फ़िर फिर भी मदिरालय के अन्दर<br>मधु के घट हैं मधु प्याले हैं<br>जो मादकता के मारे हैं<br>वे मधु लूटा ही करते हैं<br>वह कच्चा पीने वाला है<br>जिसकी ममता घट प्यालों पर<br>जो सच्चे मधु से जला हुआ<br>कब रोता है चिल्लाता है<br>
जो बीत गई सो बात गई
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