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"जो भी दुख याद न था याद आया / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर

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जो भी दुख याद न था याद आया  
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जो भी दुख याद न था याद आया
आज क्या जानिए क्या याद आया।
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आज क्या जानिए क्या याद आया
  
याद आया था बिछड़ना तेरा
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फिर कोई हाथ है दिल पर जैसे
फिर नहीं याद कि क्या याद आया।
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जिस तरह धुंध में लिपटे हुए फूल
जाने क्या वक़्त-ए-दुआ याद आया।
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जिस तरह धुंध में लिपटे हुए फूल
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याद आया भी तो क्या याद आया
  
ये मोहब्बत भी है क्या रोग ‘फ़राज़’  
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ऐ रफ़ीक़ो<ref>मित्रो</ref>! सरे-मंज़िल जाकर
जिसको भूले वो सदा याद आया।
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ये मुहब्बत भी है क्या रोग ‘फ़राज़’
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जिसको भूले वो सदा याद आया
 
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19:05, 15 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जो भी दुख याद न था याद आया
आज क्या जानिए क्या याद आया

फिर कोई हाथ है दिल पर जैसे
फिर तेरा अहदे-वफ़ा<ref>वफ़ादारी का प्रण</ref>याद आया

जिस तरह धुंध में लिपटे हुए फूल
एक-इक नक़्श<ref>मुखाकृति</ref>तिरा याद आया

ऐसी मजबूरी के आलम<ref>हालत,अवस्था</ref>में कोई
याद आया भी तो क्या याद आया

ऐ रफ़ीक़ो<ref>मित्रो</ref>! सरे-मंज़िल जाकर
क्या कोई आबला-पा<ref>जिसके पाँवों में छाले पड़े हुए हों</ref>याद आया

याद आया था बिछड़ना तेरा
फिर नहीं याद कि क्या याद आया

जब कोई ज़ख़्म भरा दाग़ बना
जब कोई भूल गया याद आया
   
ये मुहब्बत भी है क्या रोग ‘फ़राज़’
जिसको भूले वो सदा याद आया

शब्दार्थ
<references/>