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"जो रही और कोई दम... / आसी ग़ाज़ीपुरी" के अवतरणों में अंतर

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जो रही और कोई दम यही हालत दिल की।
 
जो रही और कोई दम यही हालत दिल की।
 
 
आज है पहलु-ए-ग़मनाक से रुख़स्त दिल की॥
 
आज है पहलु-ए-ग़मनाक से रुख़स्त दिल की॥
 
  
 
घर छुटा, शहर छुटा, कूचये-दिलदार छुटा।
 
घर छुटा, शहर छुटा, कूचये-दिलदार छुटा।
 
 
कोहो-सहरा में लिये फ़िरती है वहशत दिल की॥
 
कोहो-सहरा में लिये फ़िरती है वहशत दिल की॥
 
  
 
रास्ता छोड़ दिया उसने इधर का ‘आसी’।
 
रास्ता छोड़ दिया उसने इधर का ‘आसी’।
 
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क्यों बनी रहगुज़रे-यार में तुरबत दिल की॥
क्यों बनी रहगुज़रे-यार में तुरबत दिलकी॥
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01:16, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जो रही और कोई दम यही हालत दिल की।
आज है पहलु-ए-ग़मनाक से रुख़स्त दिल की॥

घर छुटा, शहर छुटा, कूचये-दिलदार छुटा।
कोहो-सहरा में लिये फ़िरती है वहशत दिल की॥

रास्ता छोड़ दिया उसने इधर का ‘आसी’।
क्यों बनी रहगुज़रे-यार में तुरबत दिल की॥