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"जो सरल हो गये / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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12:24, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

जो सरल हो गये।
वो सफल हो गये।

ज़िंदगी थी जुआ,
हम रमल हो गये।

टालते-टालते,
वो अटल हो गये।

देख कमजोर को,
सब सबल हो गये।

जो घुसे कीच में,
वो कमल हो गये।

अपने दिल से हमीं,
बेदखल हो गये।

देख कर आइना,
वो बगल हो गये।