भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ठीकर / कविता वाचक्नवी

Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:52, 27 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''ठीकर''' हम श्मसानों के नज़द...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ठीकर


हम श्मसानों के नज़दीक
बना बैठे घर
एक-एक पल की
अरथी को
जाते देखा,
कितने घट फूटे
या फोड़े
ठीकर देख
कौन जानेगा?