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"ठीक अपने पिता की तरह / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर
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12:23, 8 मार्च 2010 का अवतरण
उसके और सड़क के बीच
एक पारदर्शी काँच का पर्दा है
जिसके पीछे की
पिता की कुर्सी पर बैठते ही
वह बड़ा दिखने लगा है
इतना
कि सामने खड़ी माँ
प्रतीक्षा करती है
बही खातों से सिर उठाए तो बात शुरू करे
फिर उसे लगता है
कि सिर झुकाए ही
वह सुन लेना चाहता है
बोलने को होती है
कि नौकर को
उसकी लापरवाहियाँ गिनवाते
वह दहाड़ता है सहसा
हल्के पाँव
सामने से
हट जाती है माँ
और वह काँच के परे
सड़क पर आते-जाते लोगों को
घूरने लगता है
ठीक अपने पिता की तरह.