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ढोल की आवाज़ / निशान्त

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उदास पसरा था
रात को मैं अपने बिस्तर पर
सोच रहा था
विषाक्त हो चुके
वातावरण पर

तभी दूर
कच्ची बस्ती से
आई ढोल की आवाज़
जो ले गई मुझे
अपने बचपन के गाँव में
इधर बहुत दिन हो गए थे मुझे
बचपन के गाँव को याद किए हुए

मैंने मन ही मन में
ढोल की आवाज़ को
धन्यवाद दिया
और सो गया !