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तनहाइयाँ-5 / शाहिद अख़्तर

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जाने वाले की याद
दिल के बुतख़ाने में सजा लो
वोह चला जाए भी तो
एक दर्द बन कर दिल में रहेगा
दर्द का यह रिश्‍ता
इतना अज़ीज़ क्‍यों होता है हमें
कि हम उसे तोड़ना नहीं चाहते ?