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"तन में मन में शुद्ध मिट्टी है अभी तक गाँव में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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खेत में तकरार होती एकता फिर मेड़ पे,
 
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कुछ लड़कपन, कुछ नवाबी है अभी तक गाँव में।
  
 
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सर झुकाता है सभी को छू चुके जब आसमाँ,
 
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बाँस का ये पेड़ बाकी है अभी तक गाँव में।
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चाय का वर्षों पुराना स्वाद जिंदा है अभी,
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चाय का वर्षों पुराना स्वाद ज़िंदा है अभी,
 
शुक्र है चौरे की तुलसी है अभी तक गाँव में।
 
शुक्र है चौरे की तुलसी है अभी तक गाँव में।
 
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12:43, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

तन में मन में शुद्ध मिट्टी है अभी तक गाँव में।
घर को जाती राह कच्ची है अभी तक गाँव में।

खेत में तकरार होती एकता फिर मेड़ पे,
कुछ लड़कपन, कुछ नवाबी है अभी तक गाँव में।

मुँह अँधेरे ही किसी की याद में महुआ तले,
आँसुओं की सेज बिछती है अभी तक गाँव में।

एक वायर से हजारों बल्ब जलवाता नगर,
एक दीपक एक बाती है अभी तक गाँव में।

स्वाद में बेजोड़ लेकिन रंग इसका साँवला,
इसलिए गुड़ की जलेबी है अभी तक गाँव में।

सर झुकाता है सभी को छू चुके जब आसमाँ,
बाँस का ये पेड़ बाक़ी है अभी तक गाँव में।

चाय का वर्षों पुराना स्वाद ज़िंदा है अभी,
शुक्र है चौरे की तुलसी है अभी तक गाँव में।