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तपस्वी रूंख / ओम पुरोहित ‘कागद’

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सिकी हुई रेत में
खड़ा है
हरियल सपने लेता
खेजड़े का तपस्वी रूंख ।

बरसे अगर एक बूंद
तो निकाल दे
ढेर होते ढोरों के लिए
दो-चार पानड़े
और टोर दे थार में
जीवन के दो-चार पांवड़े ।