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ताली ख़ूब बजायेंगे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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चींटी एक आई पूरब से,
एक आ गई पश्चिम से।
हुई बात कानों-कानों में,
रुकीं ज़रा दोनों थम के।
बोली एक, कहाँ जाती हो,
कहीं नहीं दाना पानी।
चलें वहाँ पर जहाँ हमारे,
रहते हैं नाना नानी।
गर्मी की छुट्टी है दोनों,
चलकर मजे उड़ाएंगे।
नानाजी से अच्छा वाला,
बर्गर हम मंगवाएंगे।
कहा दूसरी ने, पागल हो!
वहाँ नहीं हमको जाना।
हाथी घूम रहा गलियों में,
चलकर उसको चमकाना।
"घुसते अभी सूँड़ में तेरी,"
यह कहकर धमकायेंगे।
भागेगा वह इधर उधर तो,
ताली ख़ूब बजायेंगे।