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तितली / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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तितली ओ तितली
कहाँ चली कहाँ चली।
रंग भरे छापे के
कपड़ो को पहन चली॥
झीने से पंखों को
खोल-खोल उड़ चली।
बैठी जब फूल पर
खिल उठी कली-कली॥
रस लिया, रस पिया
तैरती-सी उड़ चली।
तितली ओ तितली
कहाँ चली कहाँ चली॥