भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तीन-पांच सितारा होटल / कुमार मुकुल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:48, 20 फ़रवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सिर पर मुकुट बांधे
यहां का दरबान
राजा लगता है

और प्रिंस कोट डटाए बेयरे
लगते हैं
राजकुमारों से

मधुर मुस्‍कान फेंकती
रिसेप्‍सनिस्‍टस
राजकुमारियां लगती हैं

बाकी

वही

अकाटू-बकाटू लोग
दिखते हैं
यहां से
वहां तक ...