भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तीन सिरों वाली औरत / अंजू शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं अक्सर महसूस करती हूँ
उस रागात्मक सम्बन्ध को
जो सहज ही जोड़ लेती है एक स्त्री
दूसरी स्त्री के साथ,
मेरे घर में काम करने वाली
एक तमिल महिला धनलक्ष्मी,
या मेरे कपडे प्रेस करने वाली रेहाना
अक्सर उतर आती हैं मेरे मन में
डबडबाई आँखों के रास्ते
तब अचानक मैं पाती हूँ मेरे तीन सिर है
सब देख रहे हैं एक ही दिशा में,
और सबमें उभर रही हैं
एक सी चिंताएं ,
जो घूमती हैं हम तीनों की
बेटियों की शक्ल में
जिन्हें बड़े होना है इस असुरक्षित शहर में
 हर रोज़ थोडा थोडा...