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तुम्हारे जाने के बाद / नीरज दइया

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जब-जब तुम्हारी आँख से
झरे हैं आँसू
उन तक
पहुँचे ही हैं हमेशा
मेरी स्मृति के अदृश्य हाथ ।

तुम्हें उन का स्पर्श
हो या न हो
पर मैंने सदैव उठाया है
तुम्हारे आँसुओं का भार ।

तुम्हारे इंतज़ार में
तुम्हारे बाद
कुछ भी शेष नहीं है
तुम्हारे अदृश्य आँसुओं के सिवाय ।

अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा