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तुम और तुम्हारे कैडर-1 / जय गोस्वामी

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मोटर साइकिल पर सवार
घुस पड़ते हैं
जत्थे के जत्थे! झुंड के झुंड!
कौन घुस पड़ते हैं?
सुबह-सुबह कौन घुस पड़ते हैं?

--कुछ पता नहीं चलता!
लेकिन उसके बाद,
गाँव-गाँव, घर-घर !

अबोध-मासूम किसान का झरता है ख़ून,
जाग्रत किसान का झरता है ख़ून!

बांग्ला से अनुवाद : सुशील गुप्ता