भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम भी दुआ क्या करते / आनन्द किशोर

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:12, 17 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनन्द किशोर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वास्ते ख़ुद के भी तजवीज़ दवा क्या करते
ज़ख़्म होते न अगर तुम भी दुआ क्या करते

दफ़अतन उनकी निगाहों से निगाहें थीं मिली
ऐसे मदहोश हुये और नशा क्या करते

जो भी होना था हुआ और भी होगा बेशक़
पहले होता भी अगर हमको पता, क्या करते

इतने ग़ुस्सा हो मगर बात है बिल्कुल छोटी
ख़ुद से होती जो अगर कोई ख़ता, क्या करते

झूट जो हमने कहा , जान बची लोगों की
आप से पूछते हैं आप भला क्या करते

दोष इतना था फ़क़त बाँट के रोटी खाई
करते हमको भी गिरफ़्तार, सज़ा क्या करते

दुश्मनों का जो बुरा हाल किया हमने है
नाम बदनाम न करते वो मेरा , क्या करते

कौन आनन्द है मिलता है कहाँ किस जानिब
जो ये मालूम भी होता तो बता क्या करते