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"तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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हम हैं कि पायेबन्द हरेक इम्तहाँ के हैं॥
 
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हों सर्फ़ तीलियों में क़फ़स के तो ख़ौफ़ है।
 
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तिनके जो मेरे उजड़े हुए आशियाँ के हैं॥
 
तिनके जो मेरे उजड़े हुए आशियाँ के हैं॥
 
 
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00:19, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार।
हम हैं कि पायेबन्द हरेक इम्तहाँ के हैं॥

हों सर्फ़ तीलियों में क़फ़स के तो ख़ौफ़ है।
तिनके जो मेरे उजड़े हुए आशियाँ के हैं॥