भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तू जाके फिर ना आयी/ विनय प्रजापति 'नज़र'

Kavita Kosh से
विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:22, 9 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र' }} category: गीत <poem> '''लेखन वर्ष: 2003 ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


लेखन वर्ष: 2003

तू जाके फिर ना आयी
मगर बार-बार आती रही तेरी याद
सबने सुनी कहानी मेरी
पर ना सुनी गयी मेरी फ़रियाद

मैं भूला नहीं तेरा चेहरा कभी
यह पागलपन है मेरा कहते रहे सभी
तेरे सपने आँखों में लेकर
मैं साथ तेरे जीता रहा तेरे बाद

तू जाके फिर ना आयी
मगर बार-बार आती रही तेरी याद

वो उजले सवेरे वो सुनहरी शामें
मैं ढूँढ़ता रहा हूँ ले-लेके तेरे नाम
आँखें राहों पर बिछाये अपनी
मैं तेरी तलाश में निकला तेरे बाद

तू जाके फिर ना आयी
मगर बार-बार आती रही तेरी याद