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तोड़ो-तोड़ो , जितनी भी हैं अब तोड़ोहद की आँखे खुलने तक..बेढब तोड़ो I
मज़हब केवल बाँट रहा है दुनिया को
माला-घंटी-मंदिर-मस्ज़िद सब तोड़ो I
आधी रात चलें तो , चलने पाएँ हमकरतूतों से लेकर हर करतब , तोड़ो I
देखो केवल तोड़-ताड़ के रखना मतगड्ढे में दफ़ना के आना.. जब तोड़ो I
ऐसे-वैसे , जल्दी-वल्दी मत करनाघात लगाओ ,मौक़ा देखो तब तोड़ो I
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