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दक्षता खाती लाठी प्रहार / शीला तिवारी

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अपाहिज हो जाती मेधाविता
धिक्कारती उसकी सेवा भाव
विकलांगता जीवन में छाए
दक्षता खाती जब लाठी प्रहार
सफ़ेद कोट पर खून के छींटे
ख़तरे में हो चिकित्सक की जान
भीड़ का तांडव अस्पताल में
मरीज जब हो जाए स्वर्ग सिधार
आफ़त में चिकित्सक पड़ जाते
तैयार भीड़ करने को कोहराम
अपाहिज हो जाती मेधाविता
दक्षता खाती जब लाठी प्रहार
भगवान का महिमा मंडन छोड़ो
आम इंसान सा चिकित्सक को तोलो
लाख कोशिश हार ही जाती कभी
मृत्यु के लिखे बस अपने डोर
सदमे में आक्रामक परिजन
लेने पर उतारू चिकित्सक के प्राण
सर पर प्रहार, छाती पर वार
कुम्हलाती योग्यता क्लांत
अपाहिज हो जाती मेधाविता
दक्षता खाती जब लाठी प्रहार
लाखों मरीजों के दुआओं से टंकित
कठिन अध्ययन परिश्रम में जीवन अर्पित
चिकित्सा को अपना सर्वस्व कर्तव्य मान
रोगी उपचार में पाते सुख महान
पा गाली व अभद्रता
व्यर्थ हो जाती अथक परिश्रम व योग्यता
आहत होता उनका स्वाभिमान
खोने लगते आत्म सेवा भाव
राजनीति व मीडिया से हो जाते अक्रांत
अट्टहास कर रही मर्यादा
हमारी व्यवस्था पर है कटाक्ष
अपाहिज हो जाती मेधाविता
दक्षता खाती जब लाठी प्रहार।