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दग़िस्तान से एक गीत.. / रसूल हम्ज़ातव / श्रीविलास सिंह

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सुबह और शाम, अंधकार और प्रकाश —
काले मछुआरे और गोरे मछुआरे।
दुनिया है एक समुद्र की मानिन्द; मछलियों की भाँति हैं हम,
उन मछलियों की भाँति जो तैरती हैं सागर की गहराइयों में ।

दुनिया हैं समुद्र की भाँति जहाँ मछुआरे हैं प्रतीक्षारत,
तैयार करते अपने जाल, अपने काँटे और अपना चारा ।
ओ समय, फिर कितने शीघ्र तुम लेकर आओगे मेरा अन्त
रात्रि के जाल में अथवा दिन के चारा लगे काँटे के साथ ।

(1964)

(लुई ज़ेलिकॉफ़ के अँग्रेज़ी अनुवाद से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह

लीजिए, अब यही कविता (लुई ज़ेलिकॉफ़ के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
                              Rasul Gamzatov
           Morning and evening, darkness and light...

Morning and evening, darkness and light —
Fishermen black and fishermen white.
The world’s like an ocean; like fishes are we,
Like fishes that swim in the depths of the sea.

The world’s like an ocean where fishermen wait,
Preparing their nets, their hooks and their bait.
How soon then, O Time, will you bring me to book
In the nets of the Night or on Day’s baited hook?

Translated by Louis Zelikoff

लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए

              Расул Гамзатов
       Утро и вечер, солнце и мрак...

Утро и вечер, солнце и мрак —
Белый рыбак, черный рыбак.
В мире как в море; и кажется мне:
Мы, словно рыбы, плывем в глубине.

В мире как в море: не спят рыбаки,
Сети готовят и ладят крючки.
В сети ли ночи, на удочку дня
Скоро ли время поймает меня?

Пер. Н. Гребнева

1964