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"दरवाजे खोल रहे बौने / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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'''दरवाजे खोल रहे बौने'''
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बन्दर के हाथों में  
 
बन्दर के हाथों में  
 
काँच के खिलौने  
 
काँच के खिलौने  
किस्मत के दरवाजे
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क़िस्मत के दरवाज़े
 
खोल रहे बौने  
 
खोल रहे बौने  
कागज ने फैलाई  
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शतरंजी साजिश
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काग़ज़ ने फैलाई  
 +
शतरंजी साज़िश
 
बारूदी ढेरों पर  
 
बारूदी ढेरों पर  
सुलगायी माचिस  
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सुलगाई माचिस
सतरंगी सपने हैं  
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टाट की बिछौने  
+
सतरंगी सपने हैं  
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टाट के बिछौने  
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शहरों के जंगल का  
 
शहरों के जंगल का  
 
निष्प्रभ है सूरज  
 
निष्प्रभ है सूरज  
सड़को पर घूम रहा  
+
सडकों पर घूम रहा  
 
बौराया धीरज  
 
बौराया धीरज  
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मुखिया की चौखट के  
 
मुखिया की चौखट के  
 
आचरण घिनौने  
 
आचरण घिनौने  
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मौसम के चेहरे पर  
 
मौसम के चेहरे पर  
ठुकी हुयी कीलें  
+
ठुकी हुई कीलें  
वासन्ती झोंको पर  
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वासन्ती झोकों पर  
 
मँडराती चीलें   
 
मँडराती चीलें   
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व्याकुल हैं आँचल के  
 
व्याकुल हैं आँचल के  
दुधमँुहे दिठौने  
+
दुधमुँहे दिठौने  
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बन्दर के हाथों में  
 
बन्दर के हाथों में  
 
काँच के खिलौने
 
काँच के खिलौने
 
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21:42, 5 मार्च 2012 के समय का अवतरण

 
बन्दर के हाथों में
काँच के खिलौने
क़िस्मत के दरवाज़े
खोल रहे बौने

काग़ज़ ने फैलाई
शतरंजी साज़िश
बारूदी ढेरों पर
सुलगाई माचिस

 सतरंगी सपने हैं
टाट के बिछौने

शहरों के जंगल का
निष्प्रभ है सूरज
सडकों पर घूम रहा
बौराया धीरज

मुखिया की चौखट के
आचरण घिनौने

मौसम के चेहरे पर
ठुकी हुई कीलें
वासन्ती झोकों पर
मँडराती चीलें

व्याकुल हैं आँचल के
दुधमुँहे दिठौने

बन्दर के हाथों में
काँच के खिलौने