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दरार / नरेश सक्सेना

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|संग्रह=समुद्र पर हो रही है बारिश / नरेश सक्सेना
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ख़त्म हुआ ईंटों के जोड़ों का तनाव
 
प्लास्टर पर उभर आई हल्की-सी मुस्कान
 
दौड़ी-दौड़ी चीटियाँ ले आईं अपना अन्न-जल
 
फूटने लगे अंकुर
 
जहाँ था तनाव वहाँ
 
होने लगा उत्सव
 
हँसी
 
हँसी
 
हँसते-हँसते दोहरी हुई जाती है दीवार।
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