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"दर्द कुछ और सही, दिल पे सितम और सही / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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है जो धोखा ही सरासर हरेक अदा उनकी
 
है जो धोखा ही सरासर हरेक अदा उनकी
हमको यह प्यार का थोड़ा सी भरम और सही
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हमको यह प्यार का थोड़ा सा भरम और सही
  
 
ख़ुशनसीबी है कि इस दौर में शामिल भी हैं हम  
 
ख़ुशनसीबी है कि इस दौर में शामिल भी हैं हम  
बेरुख़ी हम पे, इन आँखों की क़सम, और सही
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वे भी दिन थे कि निगाहों में खिल रहे थे गुलाब
 
वे भी दिन थे कि निगाहों में खिल रहे थे गुलाब

01:34, 10 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


दर्द कुछ और सही, दिल पे सितम और सही
आपको इसमें ख़ुशी है तो ये ग़म और सही

ज़िन्दगी रेत के टीलों में गुज़ारी हमने
इस बयाबान में दो-चार क़दम और सही

है जो धोखा ही सरासर हरेक अदा उनकी
हमको यह प्यार का थोड़ा सा भरम और सही

ख़ुशनसीबी है कि इस दौर में शामिल भी हैं हम
बेरुख़ी हमपे, इन आँखों की क़सम, और सही

वे भी दिन थे कि निगाहों में खिल रहे थे गुलाब
आज कहते है हमें और तो हम और सही