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"दर्द मेँ भी अपने चेहरे को तुम हँसता रखना / सिराज फ़ैसल ख़ान" के अवतरणों में अंतर
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मेरी ग़ज़लों से तुम ख़ुद को बावस्ता रखना । | मेरी ग़ज़लों से तुम ख़ुद को बावस्ता रखना । | ||
20:31, 28 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
दर्द में भी अपने चेहरे को तुम हँसता रखना ।
मेरी ग़ज़लों से तुम ख़ुद को बावस्ता रखना ।
आपके अपनों में शामिल हूँ इतना काफी है,
लेकिन मुझको अपने दिल का भी हिस्सा रखना ।
दुआ है मेरी शोहरत आपके क़दमोँ को चूमे
लेकिन मुझ तक वापस आने का रस्ता रखना ।
ख़ुश रहने का राज़ बताया है नेहरु जी ने,
नन्हे-मुन्ने बच्चों से तुम भी रिश्ता रखना ।
तितली का इल्ज़ाम है कि तुम गुल के क़ातिल हो,
फूल क़िताबों में ना कोई आइन्दा रखना ।