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दर्द में भी कभी मुस्कुराया करो / लव कुमार 'प्रणय'

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दर्द में भी कभी मुस्कुराया करो
राज दिल के न हमसे छुपाया करो

हम तुम्हारे लिये तुम हमारे लिये
प्यार में बस यही गीत गाया करो

जिन्दगी खेल है जीत का हार का
हार को भी गले से लगाया करो

कर्म ऐसे करो जग सुनहरा बने
बाद मरने के' जो याद आया करो

गर्दिशों में अगर कोई' दीखे तुम्हें
बोझ हँस हँस के' उसका उठाया करो

कामना है 'प्रणय' की न नफरत रहे
प्रेम रस तुम दिलों में बहाया करो