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दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे / गोपाल सिंह नेपाली

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दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ।।

मंदिर-मंदिर मूरत तेरी, फिर भी न दीखे सूरत तेरी ।
युग बीते, ना आई मिलन की पूरनमासी रे ।।
दर्शन दो घनश्याम, नाथ ! मोरि अँखियाँ प्यासी रे ।।

द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर में गूंगा बोले ।
अंधा देखे, लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ।।
दर्शन दो घनश्याम, नाथ ! मोरी अँखियाँ प्यासी रे ।।

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ, नैनन को कैसे समझाऊँ ।
आँख मिचौली छोड़ो अब तो, घट-घट वासी रे ।।
दर्शन दो घनश्याम, नाथ ! मोरी अँखियाँ प्यासी रे ।।

फ़िल्म 'नरसी भगत'