भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिन अच्छे आए हैं / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय
Kavita Kosh से
जब समय की खूबसूरत बयार बह रही हो
जब मौसम हो शीतल
और गर्मी दूर दूर तक न ठिठक रही हो
दिन ऐसे ही आते हैं अच्छे
जैसे अब आए हैं
लाखों बुझे चेहरे पर खुशियां लाए हैं
मनहूस बने जीवन में रौनक लाकर
चेहरे को सुखी बनाए हैं
दिन अच्छे आए हैं
दिन अच्छे आएंगे
नियति हमारी सही हो
बशर्ते कि अच्छे दिन को स्वीकार करने की
हम मानते हैं स्वयं को अच्छे
और समय को मानते हैं बुरे
समय लाख बुरा हो
लेकिन दिन अच्छा आता है
खुशी का रंगत लाया है
आज आया है जैसे
लाखों चेहरे में खुशी का रंगत लाया है