भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
[[दिन के उजाले में डांस पार्टी वाली लड़की]]{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita‎}}<poem>जो गई थी मुंबई हीरोइन बनने
बन गई कस्बाई मेलों में फ़िल्मी गानों पर
डांस करने वाली लड़की
छुपाने में माहिर है
रंगीन लाइटों की लुकाछिपी लुका-छिपी में
शोहदों की सीटियों के कोरस में
फ़िल्मी गानों की धुनों पर
लट्टू की तरह नाचते हुए
अदाओं से दर्शकों को उन्मत्त करती है
जिसके इशारों की आंच आँच से
शो का तम्बू पिघल जाता है
इंसानियत के चेहरे पर उभरी
खरोचों की तरह
असमय झुर्रियां झुर्रियाँ उभर आई हैं उसकी मांमाँ
किसी छोटे गाँव में अपनी छोटी बेटियों
की परवरिश और खुद ख़ुद की दावा दवा के लिए
उसके भेजे मनीआर्डर की राह देखती रहती है
बेजान पत्थर में
और रात होने का इंतज़ार करती है
जिंदा ज़िंदा होने के लिए
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,171
edits